अर्जुन राय
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मत पूछो ये मुझसे कि कब याद आते हो। जब जब सांसेँ चलती है बहुत याद आते हो। नीँद मेँ पलके होती है जब भी भारी बनके ख्वाब बार बार नजर आते हो। महफिल मेँ शामिल होते है हम जब भी भीड की तन्हाईयोँ मेँ हर बार नजर आते हो। जब भी चाहा कि फासले कर लूँ मैँ तुमसे जिँन्दगी बनके साँसोँ मेँ समा जाते हो ।
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